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Bachhe Maa Baap Se Door Kyu Ho Jate Hai Yah Hai Asli Vajah

Bachhe Maa Baap Se Door Kyu Ho Jate 

Bachhe Maa Baap Se Door Kyu Ho Jate Hai Yah Hai

Bachhe Maa Baap Se Door Kyu Ho Jate Hai Yah Hai Asli Vajah आज हम एक ऐसे विषय में बात करेंगे जिसकी बात अधिकतर किया ही नहीं जाता पर यह कहीं न कहीं हर घर के लिए एक चिंता का विषय बना हुआ है। की आखिर बच्चे बड़े होने के बाद अपने बुजुर्ग माँ बाप को छोड़ क्यों देते हैं।

आखिर ऐसा क्या होता है की जो बच्चे बचपन में अपने माता - पिता के बैगर रहने की कल्पना भी नहीं करते थे।
जो बच्चे माता - पिता की एक झलक न पाकर बहुत भावुक होकर रोने लगते थे जैसे किसी ने उस बच्चे की दुनियाँ छीन ली, आज वही बच्चे बड़े होने पर अपने बुजुर्ग माता पिता को अपनाते ही नहीं और न ही बुजुर्ग माँ बाप के बुढ़ापे का सहारा बनते हैं।

कई बार तो ऐसी ह्रदय विदारक घटना देखने को मिलती है जब माता पिता अपने बच्चे की एक झलक पाने को तरश जाते हैं। पर वे बच्चे कभी दोबारा उनसे मिलने ही नहीं आते और माता पिता अपने बच्चे की याद में बस एक ज़िंदा लाश बनकर रह जाते हैं। किसी भी माता - पिता के लिए यह पल आत्मा को झकझोर देने वाला होता हैं, इस दर्द को दुनियाँ में सिर्फ वही समझ सकता हैं जिसके साथ यह घटना घटी हो।

आज तक हम सब सुनते आ रहे है की बच्चों को उनके माता से ज्यादा कोई भी नहीं समझ सकता हैं यह कई हद तक तर्क संगत हैं पर तब तक जब माता - पिता खुद ही बच्चों को अच्छे से समझने की कोशिश करें। यह वाक्य पूर्व काल में कई हद तक तर्क संगत थे पर आज वक़्त बदल चूका हैं आज समय के इस भाग दौड़ में अपने बच्चो को समझने का मौका ही नहीं दे पाते हैं जिसका परिणाम हमे बाद में देखने को मिलता हैं।

पर बचपन से बड़े होने तक के इस सफर में बहुत सारी ऐसी चीज़े होती है जिसमें गौर किया जाना बहुत जरुरी हैं। अक्सर माता - पिता जाने अनजाने में ऐसी गलती कर जाते हैं जिसका परिणाम भविष्य में पता चलता हैं आज हम इन्ही बातों पर प्रकाश डालेंगे और जानने कोशिश करेंगे तो जानते हैं Bachhe Maa Baap Se Door Kyu Ho Jate Hai.


बच्चे माता - पिता से इसलिए दूर हो जाते हैं 

1. दूसरे बच्चों से तुलना
अक्सर माता- पिता जो सबसे बड़ी करते हैं वो है अपने बच्चों की दूसरे बच्चों से तुलना करना इससे बच्चे हीन भावना के शिकार हो जाते हैं और खुद को दूसरे से बहुत कमजोर समझने लगते हैं। जो उनके पढ़ाई में भी बहुत बुरा प्रभाव पड़ता हैं बच्चों को लगने लगता हैं उनके माता - पिता को हमेशा से ही दूसरे के बच्चे ही अच्छे लगते मेरा इस घर में क्या काम मैं तो कुछ काम का ही नहीं यही सोच बच्चों में घर कर जाती है।

जो उम्र भर उनके दिमाग में चलती रहती है जिसे वे कभी भी नहीं भूल पाते अगर बच्चा कही भविष्य में असफल होता हैं तो ये सारी बातें उनके दिल में काँटों की तरह चुभती हैं जिससे बच्चे को लगता हैं इनको तो बचपन से दूसरे के बच्चो में ही दिलचस्पी थी मेरे बारे में कभी सोचा नहीं। इस माता- पिता के हद से ज्यादा तुलना के कारण ही कुछ बच्चे कम उम्र में ही घर से भाग जाते हैं।

जो बच्चे गुस्से में या नफरत में भागते हैं वे ज्यादातर लौट के वापस नहीं आते अतः सभी माता पिता से यही निवेदन है की आप अपने बच्चे को बेहतर से बेहतर करने की कोशिश करें। उनकी गलती को सुधारे उन्हें एक अच्छा इंसान बनाये न की बस दूसरे बच्चों से तुलना करें।

आप दूसरे बचो की कितनी भी तारीफ कर लो कोई दूसरा आपके बुढ़ापे का सहारा नहीं बनने वाला। यकीन मानिये यह आपकी बहुत बड़ी गलती साबित हो सकती हैं इसे सुधारे जरूर आपका बच्चा जैसा भी उसे वैसा ही स्वीकार्य करें।

2. हद से ज्यादा मारना या डांटना
कई माता-पिता अपना अपनों बच्चों पर पूर्ण अधिकार चाहते हैं जिसमे हर गलती पर मारना और डाँटना पिता अपना अधिकार समझता जो की आज के समय यह सही नहीं माना जाता। यह जरूर है की माता पिता को उनके केयर करना चाहिए वे क्या करते हैं उस पर नज़र भी रखना चाहिए उनकी गलती होने पर उन्हें सजा भी देना चाहिए।

उन्हें बुरी संगत से बचाना चाहिए पर यह सब प्यार से समझा कर भी किया जा सकता है। पर कुछ माता - पिता को आज भी यह गलत फहमी है की बच्चो को सिर्फ मार कर या हर बात पर डांट कर ही सुधारा जा सकता है पर होता बिल्कुल इसके विपरीत हैं।

आप उन्हें प्यार से समझा कर उनकी गलती सुधार सकते है इससे बच्चों का भी माता- पिता के प्रति प्यार और सम्मान गहरा होता जायेगा और यह सब बात आपके बच्चे ताउम्र याद भी रखेंगे। हा बच्चे जब कोई बड़ी गलती करें तो उन्हें दंड देना भी उतना ही आवश्यक हैं नहीं तो बच्चो मे गलत काम करने का डर खत्म हो जायेगा।

3. बच्चों के सामने पिता की गलत छवि 
एक बच्चा अपने माता - पिता को हमेशा एक आदर्श रूप में देखता हैं और उसका अनुसरण भी करता हैं पिता अपने बच्चे को हमेशा सुधरने की नसीयत देता है गलत काम करने से रोकता है। पर तब क्या होगा अगर पिता खुद ही गलत काम करता है और अपने बोल पर कायम नहीं रहता तो बच्चो पर इसका विपरीत प्रभाव ही पड़ेगा।

इसलिए अपने बच्चों के सामने लड़ाई झगड़े न करें एक दिन हो तो चलता है पर रोज रोज तो बिल्कुल न करें इसके साथ गालियां देना शराब पीना, पति का पत्नी पर हाथ उठाना, दुसरो का सम्मान न करना, बेवजह बच्चो पर चिल्लाना ऐसा कुछ बच्चो के सामने न ही करें यह आदते आपको अपने बच्चो से दूर कर सकते हैं।

Bachhe Maa Baap Se Door Kyu Ho Jate Hai

4. पत्नी या माता -पिता में से किसी एक को चुनना
आज के आधुनिक युग में यह घटना सबसे ज्यादा देखने को मिल जायेगा जिसमे पत्नी और सास - ससुर के बीच गृह युद्ध छिड़ा रहता हैं जिसमें गलती किसकी हैं यह कहना मुश्किल है। कई वाक्यों में सास सरूर बहुओं पर कुछ ज्यादा ही अत्याचार कर जाते हैं।

इस पर उनको लगता है ये उनका हक़ वह अपनी बहू पर पूर्ण अधिकार चाहती है बिना यह सोचे की उनकी भी अपनी दुनिया और कुछ ज़ज़्बात हैं। इस तरह कभी - कभी यह अपनी सीमाओं को पार कर जाती हैं और मजबूरन पत्नी अपने पति से दोनों में से किसी एक चुनने का धर्म संकट डाल देती है।

उसी प्रकार पत्नी भी कई बार बुरी साबित होती हैं है जो अपने माता पिता को तो जान से भी ज्यादा प्यार करती है पर अपने सास ससुर वो बिल्कुल भी सम्मान नहीं करती न ही उनकी परवाह करती हैं। यही वजह है कोई न कोई षड्यंत्र रच कर अपने पति के सामने अपने सास ससुर गलत साबित कर देती हैं और दुःख की बात यह की पति भी पत्नी की बात मान लेता है  धीरे- धीरे दूरियाँ बढ़ती ही चले जाती हैं।

5. बच्चो की सही परवरिश न करना 
कई बार कई परिवारों में यह देखा जाता है खासतौर पे वे परिवार जहाँ माता पिता दोनों ही बाहर काम पे जाते है ऐसे बच्चो की परिवरिश वैसी नहीं हो पाती जैसे होनी चाहिए। जिससे बच्चो में भी वो भावनात्मक लगाओ कम ही देखने को मिलता हैं ऐसे माता पिता बच्चो को वह समय नहीं दे पाते जो उन्हें देना चाहिए।

ऐसे बच्चो की परवरिश की ज़िम्मेदारी भी दूसरे के हाथ होती है इससे बच्चो पर कंट्रोल किसी दूसरे के हाथ में चले जाता है। अगर परवरिश करने वाला अच्छा हुआ अच्छा है तब तो ठीक है वरना बच्चो को दोबारा आप अपने हाथ में नहीं ला पाओगे अगर एक बार बिगड़ गए।

इसलिए बच्चो में माता - पिता के प्रति भावनात्मक लगाओ लाना बहुत जरुरी है जिससे वे माता पिता के महत्त्व को अच्छे से समझ पाएंगे यह तभी होगा जब उनकी परवरिश की जिम्मेदारी आप अपने हाथ में ले। उन्हें अच्छी चीज़े सिखाएं अच्छी शिक्षा दे अच्छे संस्कार दे यह सब छोटी - छोटी चीज़े आपके बच्चे के भविष्य का आधार बनते है


6. किसी प्रकार की बीमारी 
बच्चो का माता - पिता से दूर होने का यह भी कारण हो सकता हैं अगर माता -पिता को किसी भी प्रकार की गंभीर बीमारी या मानसिक बीमारी भविष्य में हो जाता है तो भी ऐसे हालत देखने  मिल जाते हैं। सुरूवात में तो बच्चे आपकी सेवा जरूर करेंगे हर संभव आपको आपको स्वस्थ करने में आपकी मदद करेंगे।

पर एक दिन आएगा जब आपके बच्चे की पत्नी आपकी सेवा करने में कतराएगी और अपने पति को को भी हर रोज ताना देगी जिससे घर का महौल बिगड़ना शुरू हो जायेगा।  पर अगर आपकी बहू समझदार, अच्छी और पड़ी लिखी होगी तो ऐसा दूर जाने जैसे परिस्थिति कभी नहीं आएगा सब मिल जुल कर रहेंगे  सुख और दुःख  दोनों में आपका साथ देंगे ।

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निष्कर्ष 
हमने इस पोस्ट में ज्यादातर बच्चों का माता- पिता से अलग होने को बचपन से इसलिए जोड़ कर देखा है की हमारे ज्यादातर केस में  बचपन में माता- पिता का अपने बच्चों के प्रति व्यव्हार ही मुख्य आधार होता हैं। अगर माता- पिता का बच्चों के प्रति व्यवहार अच्छा, अच्छी शिक्षा और अच्छे संस्कार देते हैं तो भविष्य में अगर ऐसा कुछ होता है या झगड़ा होता है तो बच्चे आपसे नाराज़ जरूर होंगे गुस्सा भी होंगे।

पर जब बच्चा शांत होकर एक जगह बैठ कर सोचेगा तो उन्हें बचपन की वो यादें ही होंगे जो बच्चे को उनके माता- पिता से कभी अलग नहीं होने देगी न ही बच्चे आपका कभी साथ छोड़ेंगे। किसी भी बच्चे का बचपन बहुत ही महत्त्वपूर्ण होता है जो उन्हें अच्छा इंसान बनाने में मदद करता है।

कोशिश करें की आप उन्हें एक ऐसा बचपन दें जो जब बच्चे याद करें तो उनके आँखों में खुशी के आँशु आ जाये, यकीन मानिये अगर आप ऐसा करने में कामयाब हुए तो आपका बच्चा सात समुन्दर पार ही क्यों न चला जाये वो खुद को आपसे मिलने के लिए नहीं रोक पायेगा ।


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